भोपाल: मध्यप्रदेश के सीधी जिले में हाल ही में 7 आदिवासी छात्राओं के साथ हुई रेप की घटना ने समाज और तकनीक के बीच गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोपियों ने एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए कॉलेज की महिला टीचर की आवाज की नकल करके छात्राओं को अपने जाल में फंसाया। ये अपराधी मैजिक वॉयस ऐप्स का इस्तेमाल करते थे। इससे उन्होंने आवाज बदलकर छात्राओं को सुनसान जगह पर बुलाया और उनसे स्कॉलरशिप के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स मांगें।
आज के डिजिटल युग में, आवाज की हेरफेर करने की क्षमता ने साइबर क्राइम के नए आयाम खोल दिए हैं। गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर पर ऐसी कई ऐप्स उपलब्ध हैं, जो वॉयस चेंजिंग की सुविधा देती हैं। इसके अलावा, AI वॉयस क्लोनिंग तकनीक के माध्यम से भी किसी की आवाज की सटीक नकल की जा सकती है। इससे धोखाधड़ी और साइबर क्राइम की घटनाओं में तेजी आई है।
वॉयस चेंजिंग ऐप और वॉयस क्लोनिंगके बीच क्या है अंतर और कितना हो सकता है खतरा
वॉयस चेंजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर व्यक्ति अपनी आवाज की पिच और टोन को बदल सकता है। इससे कॉल के दौरान विभिन्न प्रकार की आवाजें सुनी जा सकती हैं। वहीं, वॉयस क्लोनिंग में AI तकनीक के द्वारा केवल कुछ सेकंड की ऑडियो क्लिप से किसी की आवाज की हूबहू नकल की जाती है। वॉयस क्लोनिंग के बाद आवाज को पहचानना मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह आवाज पहले जैसी लगती है। लेकिन बोलने का तरीका और अंदाज अक्सर नहीं मिल पाता।
साइबर क्रिमिनल्स का निशाना: कौन होता है टारगेट?
साइबर क्रिमिनल्स वॉयस चेंजिंग और क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर टीनएजर्स, महिलाएं और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाते हैं। उनकी रणनीति में अक्सर नए नंबर से कॉल करके, रात के समय इमरजेंसी की जानकारी देकर और पैसे की तत्काल आवश्यकता का बहाना बनाकर लोगों को ठगना शामिल होता है।
फेक वॉयस कॉल्स की पहचान कैसे करें?
– अगर नए नंबर से किसी परिचित की आवाज में कॉल आता है, तो सतर्क रहें। साइबर क्रिमिनल्स अक्सर रात के समय फोन करते हैं।
– यदि कॉलर पैसे की तत्काल आवश्यकता या इमरजेंसी की जानकारी देता है, तो घबराएं नहीं और किसी भी सूचना को साझा करने से पहले सत्यापन करें।
– बातचीत के तरीके और शब्दों पर ध्यान दें। AI वॉयस क्लोनिंग से आवाज तो मिलती-जुलती हो सकती है, लेकिन बोलने का तरीका और अंदाज सही नहीं होगा।
– अगर कॉलर अनजान नंबर से सीधे पैसे मांगता है, तो सावधान रहें और जानकारी को क्रॉस-चेक करें।
– कभी भी अनजान नंबर से कॉल आने पर अपनी निजी जानकारी जैसे बैंक अकाउंट डिटेल्स, घर का पता , OTP मांगने पर ना दे।
फेक वॉयस कॉल स्कैम से बचने के उपाय
साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, वॉयस चेंजिंग और क्लोनिंग ऐप्स के बढ़ते उपयोग से स्कैम की घटनाएं बढ़ी हैं। इन ऐप्स और टूल्स की मुफ्त उपलब्धता हैकर्स को आसान लक्ष्य बना देती है। सतर्क रहें, अनजान कॉल के प्रलोभन से बचें, और किसी भी धमकी भरी कॉल की शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन में करें।
हाल ही में ट्रूकॉलर ने AI वॉयस कॉल स्कैम और फेक कॉल्स से बचने के लिए AI कॉल स्कैनर फीचर लॉन्च किया है। यह फीचर कॉल को सुनकर असली और नकली आवाज के बीच अंतर पहचानने में मदद करता है। हालांकि, यह सुविधा फिलहाल केवल अमेरिका में उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही भारत में भी इसका आगमन हो सकता है।
AI तकनीक के उपयोग से बढ़ती साइबर अपराध की घटनाएं समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। इन तकनीकों का सही तरीके से इस्तेमाल और सावधानी बरतना जरूरी है, ताकि डिजिटल दुनिया में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और ऐसे जघन्य अपराधों से बचा जा सके।