नई दिल्ली: इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भारत में बीटेक (बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी) और बीई (बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग) डिग्री प्रचलित है। इसके साथ ही ये दोनों ही कोर्स अंडरग्रेजुएट लेवल के होते हैं। वहीं इन दोनों की कोर्स की अवधि चार साल तक होती है। इसमें कई समानताएं भी होती हैं। वहीं इन कोर्सेस में एडमिशन के लिए जॉइंट एंट्रेंस एग्ज़ाम भी देना आवश्यक होता है। कई समानताएं होने पर इन दोनों डिग्री को लोग एक ही समझ लेते हैं। मगर बीटेक और बीई में वास्तव में अंतर होता है।
आईआईटी मद्रास के डीन एकेडमिक्स एम जगदीश कहते हैं कि दोनों ही डिग्री में थोड़ा-बहुत अंतर है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि एक थ्योरी पर आधारित है और दूसरी प्रैक्टिकल पर। थ्योरी और प्रैक्टिकल बीटेक और बीई दोनों में होते हैं। लेकिन बुनियादी और उन्नत अध्ययन पर बीटेक ज्यादा ध्यान देता है। वहीं बीई बुनियादी शिक्षा तक ही सीमित रहता है। विषयों को पढ़ाने के तरीके में ज्यादा अंतर है।
बीटेक और बीई दोनों ही भारत में बराबर माने जाते हैं, मगर इस बात पर ज्यादा महत्व निर्भर करता है कि किस संस्थान से छात्र ने पढ़ाई की है। आईआईटी से अगर किसी छात्र ने डिग्री हासिल की है तो किसी भी अन्य संस्थान की डिग्री से ज्यादा उसकी डिग्री को महत्व मिलेगा।
इसके साथ ही दोनों डिग्री में अंतर शिक्षा प्रणाली के संदर्भ से आता है। बता दें कि बैचलर ऑफ साइंस नाम की डिग्री अमेरिका में होती है। इसके साथ ही कुछ देशों में इसे डिप्लोमा कहते हैं। लेकिन भारत में डिप्लोमा कोर्स को डिग्री से कमतर माना जाता है। अच्छी जॉब पाना दोनों ही डिग्री कोर्स करके संभव है। किसी प्रतिष्ठित कॉलेज से बीई करना एक सामान्य संस्थान से बीटेक करने से बेहतर हो सकता है।