जमशेदपुर: पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद मनाया जाता है। आज यानी 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। शस्त्रों में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। शरद पूर्णिमा में चंद पृथ्वी के सबसे नजदीक देखा जाता है और अपनी सारी 16 कलाओं से युक्त होता है। शरद पूर्णिमा प्रेमियों के लिए भी काफी प्रमुख दिन मन जाता है। इस दिन अपने जीवनसाथी से जुड़ी मनोकामनाएं मांगने से पूरी हो जाती है।
शरद पूर्णिमा के दौरान बनेगा रवि का योग
इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दौरान रवि का योग बनता दिखेगा जो कि शुभ माना जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में रवि योग का बड़ा महत्व होता है। रवि योग सवेरे 6:23 बजे से शाम 7:18 बजे तक रहनेवाला है।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
इस साल तिथियों के घटने और बढ़ने के वजह से शरद पूर्णिमा की तिथि दो दिन यानी 16 और 17 दोनों ही दिन रहेगा। पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर शरद पूर्णिमा शाम 8 बजे से शुरू होगी। जो कि 17 अक्टूबर शाम 5 बजे तक रहेगी। शरद पूर्णिमा अक्सर रात के समय ही मनाया जाता है। इसलिए शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं :
1) शरद पूर्णिमा में खीर का बहुत बड़ा महत्व होता है। इस दिन रात को खुले आसमान के नीचे खीर को रख देने से और दूसरे दिन उसका सेवन करने से शुभ माना जाता है। इससे चांद के गुण भी उसमें आ जाते हैं। इससे आपकी मानसिक स्थिति में भी सुधार होता है।
2) ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था आईए देश के विभिन्न हिस्सों में इस दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इस दिन धन की लक्ष्मी मा लक्ष्मी की आराधना कर लोग उनका ध्यान करते हैं। इससे भक्तों को धन की प्राप्ति होती हैं और आर्थिक स्तिथि भी ठीक हो जाती है।
3) इस दिन भक्तों को नदी में स्नान करना चाहिए और गरीबों में अन्न और भोजन दान करना चाहिए। इस दिन दान दक्षिण और पूजा पाठ का बड़ा महत्व माना जाता है। ऐसा करने से आपके जीवन की परेशानियां काफी हद्द तक कम हो जाती है।