नई दिल्ली: आज के जमाने में टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ चुकी है। खासकर आज के जमाने को सोशल मीडिया ट्रेंड्स और मीम्स का जमाना कहा जाता है। हमने अक्सर यह बात सुनी होगी कि बच्चों के पेट में दर्द हो या सिर में दर्द हो या उन्हें तेज बुखार हो उनके पेरेंट्स सबसे पहले मोबाइल फोन को ही इसका कारण मानते हैं। अपने बच्चों को वह ताना देते हैं कि “और चलाओ फोन।”
लेकिन इन सभी समस्याओं का भला मोबाइल फोन से क्या कनेक्शन है। इसे लेकर सोशल मीडिया में बहुत से मीम्स भी बनते हैं। इसे देखकर सभी लोग बहुत ठहाके भी लगाते हैं। लेकिन अब साइंस स्टडी के अनुसार पेरेंट्स के इस ताने को सच कहा जा रहा है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकिएट्री के अनुसार, बच्चे जो दिन भर मोबाइल फोन चलाते हैं उनका स्क्रीन टाइम बहुत ही ज्यादा होता है। यह आने वाले समय में बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकता है। इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी में पब्लिश हुए एक स्टडी के अनुसार , ज्यादा स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चों में ड्राई आई की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है।
मुंबई हाईकोर्ट ने भी कर दी टिप्पणी
मुंबई हाई कोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई के दौरान कहा था कि बच्चों के बीच मोबाइल फोन का एडिक्शन आने वाले समय में ड्रग्स के तौर पर साबित होगा। इसके कारण शारीरिक और मानसिक सेहत को बहुत ही नुकसान हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि इसके खिलाफ कोई सख्त कानून लाया जाए।
इन सारी बातों से यह निष्कर्ष निकलता है की बच्चों को ज्यादा देर तक मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर बच्चों का मोबाइल फोन यूज करना उनके पढ़ाई से संबंधित है तो इसके लिए भी एक लिमिट तय करना जरूरी है। बच्चों को मोबाइल फोन का सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी बताना जरूरी है। इस खबर में आज हम आपको बताएंगे कि ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों को किस प्रकार की समस्या हो रही है। बच्चों के लिए हेल्दी स्क्रीन टाइम लिमिट क्या है। स्क्रीन टाइम लिमिट तय करने के लिए क्या किया जा सकता है।
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बढ़ रही है मुश्किलें
कोरोना महामारी के समय देश ने बहुत सी चीजों को बदलते हुए देखा। लोगों को वर्क फ्रॉम होम का अनुभव करने का मौका मिला। समय के साथ जैसे-जैसे प्रबंध कम होने शुरू हुए। चीज पहले की तरह होने लगी । तब लोगों को यह एहसास हुआ की लॉकडाउन के दौरान उनका स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। लॉकडाउन के दौरान बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए भी स्क्रीन के भरोसे थे और बहुत से युवा अपनी नौकरी के लिए भी स्क्रीन के ही भरोसे थे। इनके लिए यह समस्या और भी बड़ी हो गई। बच्चे अपनी पढ़ाई के अलावा भी लंबा समय मोबाइल फोन यूज करते थे, यह अभी तक जारी है। इसके नुकसान अब सामने आ रहे है ।
मोबाइल के यूज से बच्चे हो रहे बीमार
बच्चों का ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से उनमें कई सारी समस्याएं आई हैं। बच्चों में नींद ना आने की समस्या, ड्राई आईज की समस्या सामने आ रही है। उनकी सेल्फ इमेज खराब हो रही है। उनमें किताब पढ़ने की आदत खत्म हो रही है। उनका प्रकृति के साथ समय बिताने का मन नहीं करता है। उन्हें अपनी खुद की बॉडी को लेकर हीन भावना बढ़ रही है। स्कूल में उनका परफॉर्मेंस खराब हो रहा है। उनमें छोटी उम्र में ओबेसिटी की समस्या दिख रही है। उनमें अटेंशन डिसऑर्डर की भी समस्या बढ़ रही है ।
बच्चों के बीच घट रहा है अटेंशन स्पैन
ज्यादा देर तक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने का नतीजा यह है कि अब सभी का अटेंशन स्पैन कम हो रहा है। सबका फोकस घट रहा है। हमारे ब्रेन डेवलपमेंट में यह बात बहुत जरूरी है कि हम बिना अपने ध्यान को भटकाए कितनी देर किसी काम पर लगातार अपना ध्यान लगाकर रख सकते हैं। लेकिन, लंबे स्क्रीन टाइम के कारण हमारा दिमाग किसी एक चीज पर ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता। एक स्टडी के अनुसार इंसानों का अटेंशन स्पैन लगातार तेजी से नीचे गिर रहा है। बीते 20 सालों में 2.5 मिनट से अटेंशन स्पैन घटकर अब 47 सेकंड पर पहुंच गया है।
बच्चों के लिए क्या होनी चाहिए स्क्रीन टाइम लिमिट
अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकिएट्री ने बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की एक टाइमलाइन जारी की है। इस टाइमलाइन को दुनिया के ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञ रिकमेंड कर रहे हैं। इसमें 2 साल से कम उम्र के बच्चों को तो मोबाइल फोन इस्तेमाल करना ही नहीं चाहिए। 2 से 5 साल के बीच के बच्चों के लिए डेली 1 घंटे का स्क्रीन टाइम लिमिट होना चाहिए। अगर बच्चों की छुट्टी के दिन है तो उसे दिन के लिए स्क्रीन टाइम लिमिट 3 घंटे है। 6 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए कोई समय तय नहीं किया गया है। पेरेंट्स और बच्चों को यह सलाह दी जाती है कि हेल्दी यूज और एक्टिविटी के लिए कितनी देर मोबाइल फोन या लैपटॉप इस्तेमाल करना आवश्यक है। उतने ही देर इस्तेमाल करने देना चाहिए।
क्या करें जिससे बच्चों का स्क्रीन टाइम कम हो जाए
अगर किसी बच्चे का स्क्रीन टाइम ज्यादा है तो उसे हम एक ही दिन में कम नहीं कर सकते। इसके लिए पेरेंट्स को यह सुझाव दिए जाते हैं कि वह इस बारे में अपने बच्चों से बात करें। उनके बच्चों के लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है इसके बारे में बताएं। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए क्या किया जा सकता है।
—छोटे बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए आप अपने डिवाइस या मोबाइल में पैरंट कंट्रोल सेट कर सकते हैं।
— बड़े बच्चों या किशोरावस्था वाले बच्चों का हेल्दी स्क्रीन टाइम तय करने के लिए उनसे अच्छी तरीके से बातचीत करें. उन्हें बताएं कि कुछ सीमाएं निर्धारित करना उनके लिए कितना जरूरी है।
— आप अपने घर में यह नियम बना सकते हैं कि सभी लोग सोने के 1 घंटे पहले अपना स्क्रीन बंद कर दें। इससे आपको खुद भी आदत लगेगी और आप अपने और अपने बच्चों की सेहत पर अच्छे से ध्यान रख सकेंगे।
—आप खाने के समय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करना प्रबंध कर सकते हैं.
—अपने बच्चों को बताएं कि कामकाज गृह कार्य और अन्य गतिविधियां कितनी जरूरी होती हैं। सोशल मीडिया या फोन का इस्तेमाल कुछ समय के मनोरंजन के लिए ही ठीक है।
—आप अपने बच्चों के साथ ईमानदारी पढ़ाते उन्हें एकाएक सब कुछ बदलने की जबरदस्ती ना करें। आपको यह स्वीकार करना होगा कि स्क्रीन टाइम को कम करना बहुत ही कठिन हो सकता है। इससे उभरने के दौरान बच्चे चिड़चिड़े भी हो सकते हैं।
—पेरेंट्स को यह समझना जरूरी है कि आज की दुनियां किस हद तक इंटरनेट पर निर्भर है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन पर कंट्रोल रखने की बजाय आपको यह बताना चाहिए कि इंटरनेट का इस्तेमाल बच्चे अपने हित के लिए करें।
—कई बार बच्चे इस प्रक्रिया में चिड़चिड़े हो जाते हैं। तब आप उनसे पूछें कि उन्हें क्या महसूस हो रहा है। अगर बच्चे यह कहते हैं कि बिना स्क्रीन या इंटरनेट के उन्हें कुछ खोया खोया सा लग रहा है। तो उनकी जरूरत पूरी करने के लिए उन्हें अन्य सुझाव दें।