नई दिल्ली: आइसक्रीम में अगर दूध और अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स को सही तरीके से पाश्चराइज नहीं किया गया हो तो उसमें साल्मनेला नाम के बैक्टीरिया के फैलने का खतरा बढ़ सकता है। जो हमारे सिस्टम पर नेगेटिव असर डाल सकता है।
कई आइसक्रीम में एडिटिव्स, आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और रंगों का उपयोग होता है, जो लॉन्ग टर्म हेल्थ प्रोब्लेम्स का कारण बन सकते हैं। इनका अत्यधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को बढ़ा सकता है।
हार्ट के लिए नुकसानदेह हैं आइसक्रीम में शामिल ट्रांस फैट्स
कुछ आइसक्रीम ब्रांड्स में ट्रांस फैट्स भी शामिल हो सकते हैं, जो दिल की बीमारियों के लिए विशेष रूप से हानिकारक होते हैं। ये फैक्ट्स शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाते हैं और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को कम करते हैं। ग्लूटेन वाले आइसक्रीम से ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों में गैस्ट्रोन्ट्रीटिस और अन्य डाइजेस्टिव प्रोब्लेम्स हो सकती हैं। हालांकि कुछ आइसक्रीम ग्लूटेन-फ्री होती हैं, सभी नहीं।कई फ्रूट आइसक्रीम में हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप का उपयोग किया जाता है, जो ब्लड शुगर लेवल्स को अचानक बढ़ा सकता है और इसके कारण वजन बढ़ सकता है। आपको बता दें कि हद से ज्यादा आइसक्रीम खाने से आ सकता है आपको हार्ट अटैक! सिर्फ इतना ही नहीं आइसक्रीम से आपको हार्ट से जुड़ी कई सारी गंभीर बिमारियों का सामना कर पड़ सकता है। आइसक्रीम के कंजम्पशन से हार्ट की बीमारी का खतरा काफी हद तक बढ़ता है। वहीं सर्दी-खांसी की समस्या भी काफी ज्यादा रहती है। आमतौर पर हम बच्चों को आइसक्रीम खाने से रोकते हैं। लेकिन सिर्फ बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी सोच-समझकर ही आइसक्रीम का सेवन करना चाहिए।अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) फैट फ्री या कम फैट वाली आइसक्रीम को चुनने का एडवाइस देता है। इसके1/2 कप सर्विंग में ज्यादा से ज्यादा 3 ग्राम (जी) फैट हो। हालांकि, लोगों को आइसक्रीम खाने के मामले में माइंडफुल ईटिंग करने की कोशिश करनी चाहिए। आइए जानें बच्चों पर इसका कितना प्रभाव होता है। अगर आप हद से ज्यादा आइसक्रीम खाते हैं तो आप एक हेल्थ एक्सपर्ट की राय जरूर लें और अपनी सेहत का ख़ास तौर पर ध्यान दें। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आपको आइसक्रीम की लत है तो आप जल्द ही इससे छुटकारा पा लें वरना ये आपको हॉस्पिटल तक भी पहुंचा सकता है। आइसक्रीम में सैचुरेटेड फैट मौजूद होते हैं। इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा होती है। इससे हमारे कंपाउंड हेल्थ पर असर पड़ता है। वहीं दूसरी ओर आइसक्रीम में शुगर कंटेंट काफी ज्यादा होता है। इन दोनों का ये कॉम्बिनेशन हमारे हार्ट हेल्थ के दुश्मन हैं। आइसक्रीम ज्यादा खाने से हम ओबेसिटी और टाइप 2 डायबिटीज का भी खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। बता दें की ये आइटम्स हार्ट हेल्थ के लिए बहोत ही ख़राब साबित हो सकते हैं।
दिल की बीमारी के खतरे को बढ़ाते हैं हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट्स
दूध, पनीर और दही दिल के लिए हेल्दी डाइट प्लान का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन बटर , क्रीम और आइसक्रीम हाई फैट डेरी प्रोडक्ट्स की गिनती में आते हैं। जो हमारे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और हमारे हार्ट हेल्थ को भी ख़राब करता है। हाई फैट डेरी प्रोडक्ट्स में बैलेंस्ड फैट होती है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाती है। साथ ही दिल की बीमारी के जोखिम को भी बढ़ाती है।
ब्लड शुगर वाले आइस क्रीम खाने से बचें
जिनका ब्लड शुगर लेवल कम होता है, उनमें हाई कार्बोहाइड्रेट प्रोडक्ट्स जैसे ब्रेड, पास्ता, कैंडीज, केक या आइसक्रीम खाने से दिल की धड़कन बढ़ने का खतरा अधिक होता है। क्योंकि इनसे ब्लड शुगर के लेवल्स में अचानक बढ़ोतरी हो सकती है।
हाई शुगर फूड आइटम भी हैं हानिकारक
चॉकलेट, लॉलीपॉप , आइसक्रीम और कस्टर्ड जैसे हाई शुगर फूड आइटम न खाएं। फ़्राईड या बेक्ड फूड आइटम खासकर चिप्स, बिस्कुट, केक और अन्य बेक्ड प्रोडक्ट लिमिटेड मात्रा में खाएं। हमेशा पहले पानी पिएं और चीनी वाले मीठे लिक्विड्स या जूस से बचें। मीठा खाने के पहले पानी का सेवन जरूर करें। चाय और कॉफी भी ख़ास तौर से लिमिटेड मात्रा में लें।
हार्ट रेट को प्रभावित करती है आइसक्रीम
ब्लड शुगर लेवल के साथ जुड़े खतरे और हाई कार्बोहाइड्रेट प्रोडक्ट्स का सेवन हार्ट रेट को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, आइसक्रीम का सेवन लिमिटेड मात्रा में और सोच-समझकर करना चाहिए। इसे बैलेंस्ड डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए और विशेषकर उन लोगों के लिए जिन्हें दिल की बीमारियों का जोखिम है, इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए, आइसक्रीम जैसे हाई फैट और शुगर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना और हेल्दी अल्टरनेटिव्ज की ओर ध्यान देना जरुरी है।